
विश्व मानचित्र पर भारत का नक्शा

भारत के भौतिक प्रदेश
हिमालय पर्वत भारत की उत्तरी सीमा पर पश्चिम से पूर्व की ओर वृहत् चाप के रूप में 5 लाख वर्ग किलोमीटर लम्बाई में तथा 250 से 400 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत है. यह विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत है. इसका क्षेत्रफल लगभग 5 लाख वर्ग किमी है.
यह श्रेणी पामीर पर्वत प्रणाली का भाग है. पश्चिम में पठार गाँठ से निकलकर यह अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है. भू-गर्भशास्त्रियों के अनुसार आज जहाँ हिमालय पर्वत श्रेणियों का विस्तार है.
वहां पहले टेथिस सागर का विस्तार था. इसमें अवसाद के जमाव के पश्चात कालान्तर में भूगर्भीय हलचलों से जमाव अवसाद की परतों में मोड़ पड़ जाने से इस सागर की तली ऊँची उठ गई है.
फलस्वरूप ही यह नविन मोड़दार पर्वत श्रेणियाँ बनी है यथा-
यह हिमालय की सबसे ऊँची पर्वतमाला है, जिसे मुख्य हिमालय, हिमाद्री आदि नामों से भी जाना जाता है. यह श्रेणी उत्तर पश्चिम में सिन्धु नदी के मोड़ से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र के मोड़ तक के चाप की आकृति में लगभग 2500 किलोमीटर की लम्बाई में विस्तृत है. इसकी औसत उंचाई लगभग 6000 मीटर तथा चौड़ाई 100 से 200 किलोमीटर है.
यहाँ की पर्वत चौटियाँ 7000 मीटर से भी अधिक ऊँची है. इस श्रेणी में विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है. इसकी उंचाई 8848 मीटर है. इस पर चढ़ने वाला प्रथम भारतीय महिला बछेंद्रीपाल थी. भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कंचनजंघा (8585 मीटर) है.
इस श्रेणी में जोजिला, शिपकी, माना, नीति ला आदि दर्रे है. इसी प्रदेश से हमारे देश की प्रसिद्ध नदियाँ गंगा व यमुना निकलती है.
यह पर्वत श्रंखला वृहत् हिमालय के दक्षिण में स्थित है. जो मध्य हिमालय या हिमाचल हिमालय के नाम से जानी जाती है.
इसकी चौड़ाई 80 से 100 किलोमीटर तक है. इसकी औसत उंचाई 3000 मीटर है. किन्तु अधिकतम उंचाई 5 हजार मीटर तक पाई जाती है.
पीर पंजाल व धौलाधर इसकी प्रमुख श्रेणियाँ है. बनिहाल प्रमुख दर्रा है. यहाँ शीत ऋतु में तीन चार महीने तक बर्फ रहती है. . किन्तु ग्रीष्म ऋतू सुहावनी व स्वास्थ्यवर्धक होती है. यहाँ कई पर्वतीय पर्यटक स्थल जैसे शिमला, मंसूरी, नैनीताल, दार्जलिंग, रानीखेत आदि स्थित है.
इस श्रेणी के उच्च ढालों पर कोणधारी वन तथा निम्न ढालों पर घास के क्षेत्र पाएं जाते है. जिन्हें काश्मीर में मर्ग (जैसे गुलमर्ग, सोनमर्ग आदि) कहा जाता है.
हिमालय की यह सबसे दक्षिणी श्रेणी है. इसे बाह्य हिमालय या शिवालिक श्रेणी के नाम से जाना जाता है. हिमालय की सभी श्रेणियों में यह नवीनतम रचना है.
यह श्रेणी पोटवार बेसिन से प्रारम्भ होकर पूर्व की ओर कोसी नदी तक विस्तृत है. यह श्रेणी 10 से 50 किलोमीटर तक चौड़ी है.
इसकी औसत उंचाई 600 से 1500 मीटर है. जम्मू में इसे जम्मू पहाड़ियाँ तथा अरुणाचल में गिरी मिशमी, अबोर, डाफला पहाड़ियों के नाम से जानते है.यह सम्पूर्ण भाग वनाच्छादित है.
मध्यवर्ती भाग में हिमालय के शिवालिक के बिच नदियों की मिट्टी व बालू के निर्मित कुछ ऊँचे घाटी मैदान भी मिलते है. जिन्हें पूर्व में द्वार जैसे हरिद्वार तथा पश्चिम में दून जैसे देहरादून कहते है.
यह मैदान हिमालय पर्वत तथा प्रायद्वीपीय पठार के मध्य स्थित है. प्राचीनकाल से यह भू भाग गंगा सिन्धु मैदान के नाम से जाना जाता था.
किन्तु विभाजन के कारण सिन्धु व उसकी सहायक नदियाँ, झेलम, चिनाव व रावी के मैदानी भाग पकिस्तान में चले गये है. अतः अब भारतीय क्षेत्र सतलज, गंगा ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते है.
जो इनके व इनकी सहायक नदियों द्वारा बिछाई गई गई तलछट मिट्टी से बना है. इस धनुषाकार मैदान की लम्बाई लगभग 2400 किलोमीटर व चौड़ाई 150 से 480 किलोमीटर तक है. इस मैदान का क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर तक है. दोआब दो नदियों के बिच के स्थान को कहा जाता है.
इस मैदान में पंजाब हरियाणा, उतराखंड, उत्तरप्रदेश, उत्तरी राजस्थान, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि का भाग शामिल है.
काँप (नदी की बारीक) मिट्टी से बनने के कारण यह अत्यधिक उपजाऊ मैदान है. अनेकों नदियों का जाल बिछा होने से पीने व सिंचाई के लिए प्रचुर जल उपलब्ध है. नदियों का उपयोग सस्तें यातायात साधन के रूप में किया गया है.
समतल होने से सड़क व रेल मार्गों का सघन जाल हमारे देश के अधिकांश, औद्योगिक, व्यापारिक व धार्मिक नगर यही है. दिल्ली, कानपुर, हरिद्वार, मथुरा, वाराणसी, अमृतसर, लखनऊ, आगरा, पटना, कोलकाता आदि.
जलवायु परिवर्तन से निर्मित यह मरुस्थल अरावली के पश्चिम व उत्तर पश्चिम में सिन्धु के मैदान तक विस्तृत है. यह लगभग 150 से 380 मीटर तक ऊँचा, 640 किलोमीटर लम्बा व 160 किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र है. यहाँ तेज हवाएं व बालुका स्तूपों एवं रेत के टीलों का निर्माण करती है.
इन टीलों के मध्य वर्षा जल भर जाने से अस्थायी झीलें बन जाती है. जिसे ढांढ या रन कहते है. यहाँ सांभर, लूणकरणसर, डीडवाना, पचपदरा आदि खारे पानी की मुख्य झीलें है. इनमें नमक तैयार किया जाता है.
भूगर्भशास्त्रियों के मतानुसार यह क्षेत्र पहले उपजाऊ भाग था. यहाँ बड़ी बड़ी नदियाँ बहती थी. यहाँ पर सरस्वती नदी के अवशेष मिलना इस बात के प्रमाण है.
भारत के विशाल मैदान के दक्षिण में विस्तृत अति प्राचीन लावा निर्मित भू-भाग है जो 7 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है. इसके तीन ओर समुद्र है और यह त्रिभुजाकार पठार का आधार उत्तर में विध्यांचल पर्वतमाला तथा दक्षिण में कुमारी अंतरीप है.
दक्षिण पूर्वी राजस्थान की उच्च भूमि से कन्याकुमारी तक इसकी अधिकतम लम्बाई 1800 किलोमीटर तथा अधिकतम चौड़ाई लगभग 1400 किलोमीटर है.
इस पठार की औसत ऊँचाई समुद्रतल से 600 मीटर है. इसका विस्तार दक्षिण पूर्वी राजस्थान, गुजरात, झारखंड, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में आंशिक रूप से है.
यहाँ प्रचुर मात्रा में खनिज भंडार पाए जाते है. काली मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए लाभदायक है. यहाँ सागवान, शीशम व चन्दन के बहुमूल्य मानसूनी वृक्ष मिलते है.
नदियों में जल प्रपात मिलते है. जो जल विद्युत उत्पादन का आधार है. इसी भाग में पंचमढ़ी, महाबलेश्वर, उड्गममंडल (ऊंटी) आदि पर्यटन स्थल है.
दक्षिण के पठार के दोनों तरफ मैदान स्थित है. ये समुद्री तटीय मैदान दो भागों में विभक्त किये जाते है. ऐसे मैदान नदियों द्वारा या समुद्र की क्रिया से बने है.
पश्चिमी तटीय समुद्री मैदान- खम्भात की खाड़ी से प्रारम्भ होकर कुमारी अंतरीप तक फैले इस समुद्र तटीय मैदान की औसत चौड़ाई 64 किलोमीटर तथा अधिकतम ऊँचाई 180 मीटर है. व इसकी लम्बाई 1600 किलोमीटर है.
इस तटीय मैदान में तीव्रगामी छोटी नदियाँ बहती है. उत्तर में यह मैदान अधिक चौड़ा है. नर्मदा, ताप्ती, मंडवी आदि नदियाँ बहती है. इस तट के उत्तरी भाग को कोंकण तथा दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहते है.
इसके प्रमुख बंदरगाह कांडला, मुंबई, मारमगोआ, कोचीन व मंगलौर आदि है. इस मैदान में उत्तम जलवायु मिट्टी, व्यापार की सुविधाएँ होने से सघन जनसंख्या पाई जाती है.
भारत की नदियां
गंगा नदी तंत्र
नदी | उद्गम | सहायक नदी | संगम |
गंगा | गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से | बाये तरफ से रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, बागमती और कोसी दायें तरफ से यमुना सोन और पुनपुन | बंगाल की खाड़ी |
यमुना | यमुनोत्री हिमनद से | चंबल, सिन्ध, बेतवा, केन, टोंस और हिण्डन | गंगा से प्रयागराज में |
चंबल | महू मध्य प्रदेश से (जानपाव पहाड़ी) | बनास, पार्वती, काली सिन्ध और क्षिप्रा | यमुना से इटावा के पास |
रामगंगा | नैनीताल के निकट से | खोन और गंगन | गंगा में कन्नौज के पास |
शारदा (काली) | मिरताम हिमनद से | सरयू, लिसार और सर्मा | घाघरा में |
सोन | अमरकंटक पहाड़ी से | रिहन्द, उत्तरी कोयल और कनहर | गंगा में पटना के पास |
घाघरा | मापचा चुंग हिमनद से | सरयू, शारदा, राप्ती, छोटी गंडक | गंगा में छपरा के पास |
गंडक | नेपाल हिमालय | त्रिशुली, माडी, बूढ़ी गंडकी | गंगा में सोनपुर के समीप |
कोसी | गोसाईथान तिब्बत से | पारु, सूनकोसी, लीखू इधकोसी आदि | गंगा में कुरर्सेला के समीप |
महानंदा | दार्जिलिंग की पहाड़ी से | मेची, कनकाई | गंगा नदी में फरक्का के पास |
केन | कैमूर पहाड़ी से | अलोना, सोनार, मिरहासन, श्यामरी, उर्मिल, कैल आदि | यमुना नदी में बांदा के पास |
दामोदर नदी | छोटानागपुर के पठार से | बराकर, कोनार, जंमुनिया, बरकी | हुगली नदी में |
बेतवा या वेत्रवती | रायसेन जिले से | धसान | यमुना |
सिंधु नदी तंत्र
नदी | उद्गम | मुहाना/संगम |
सिन्धु | तिब्बत में मानसरोवर झील के निकट से | अरब सागर |
सतलुज | मानसरोवर झील के पास राकस ताल से | चेनाब नदी |
रावी | रोहतांग दर्रे के नजदीक से | चेनाब नदी |
व्यास | रोहतांग दर्रे के पास व्यास कुण्ड से | सतलुज नदी |
झेलम | वेरीनाग के निकट शेषनाग झील से | चेनाब नदी |
चेनाब | हिमाचल प्रदेश में चन्द्र एवं भागा नदियों के मिलने से | सिन्धु नदी |
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
ब्रह्मपुत्र | चेमायुंगडुंग हिमनद से | दिबांग, लोहित, धनसिरी कलंग, सुबनसिरी, कामेंग मानस, संकोश | बंगाल की खाड़ी में मेघना नाम से |
संकोश | भूटान की हिमालय श्रेणी से | – | ब्रह्मपुत्र में |
बराक | मणिपुर की पहाड़ी से | माकू, तरंग, धलेश्वरी मदुवा | ब्रह्मपुत्र से |
तीस्ता | सिक्किम के चुंथंग के पास हिमालय से | रानी खोला, रंगित | ब्रह्मपुत्र |
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां
गोदावरी नदी | नासिक के त्रंबकेश्वर पहाड़ी से | इन्द्रावती, प्राणहिता, पूर्णा, वर्धा, प्रवरा, मंजरा वेनगंगा, पेनगंगा, शबरी | बंगाल की खाड़ी |
महानदी | सिंहावा श्रेणी (छत्तीसगढ़) | तेल, जोंक, मांड, ओंग, हसदो, सेवानाथ | बंगाल की खाड़ी |
कावेरी | ब्रह्मगिरी पहाड़ी | काबिनी, भवानी, अमरावती सुवर्णावती, हंरगी, हेमवती शिमशा, अर्कावती | बंगाल की खाड़ी |
कृष्णा | महाबलेश्वर से | तुंगभद्रा, भीमा, कोयना, वर्णा, घाटप्रभा, मालप्रभा, मूसी, पंचगंगा | बंगाल की खाड़ी |
स्वर्णरेखा | छोटानागपुर पठार से | खरकई नदी | बंगाल की खाड़ी |
ब्रह्मणी | छोटानागपुर | कोयल, शंख | बंगाल की खाड़ी |
वैतरणी | क्योंझर पहाड़ी | कंजोरी, अंबाझरा, मुशाल | बंगाल की खाड़ी |
तुंगभद्रा | गंगामूल चोटी से (कर्नाटक से) | कुमुदवती, वर्धा, मगारी, हिन्द | कृष्णा नदी में |
बैगई | कण्डन मणिकन्पूर मदुर्रे के पास से | कुमम, वर्षानाड़, सरिलियार, बराह | बंगाल की खाड़ी |
पलार | कोलार (कर्नाटक से) | पोइनी, चेय्यार | बंगाल की खाड़ी |
पेन्नार | नन्दी दुर्ग श्रेणी (कर्नाटक से) | पापहनी, चित्रवती | बंगाल की खाड़ी |
वंशधारा | ओडिशा से | – | बंगाल की खाड़ी |
ताम्रपर्णी | अगस्त्यमलाई | – | मन्नार की खाड़ी |
अरब सागर में गिरने वाली नदियां
नर्मदा | अमकंटक पहाड़ी | तवा, शक्कर, हिरन, बंजर | खंभात की खाड़ी (अरब सागर) |
ताप्ती | मध्य प्रदेश के बेतुल से | पूर्णा, गिरना, मोरना, अनेर | खंभात की खाड़ी (अरब सागर) |
साबरमती | अरावली श्रेणी (जय समुद्र झील से) | बाकल, हथमती, बेतरक | खंभात की खाड़ी |
माही | मेहद झील | जाखम, सोम, अनस | खंभात की खाड़ी |
लूनी | नाग पहाड़ी (अरावली श्रेणी) | जवाई, खारी, जोजड़ी | कच्छ का रण |
शरावती | शिमोगा जिले से | – | अरब सागर |
भरतपूझा | अन्नामलाई पहाड़ी | – | अरब सागर |
मांडवी | बेलगाम जिले से | – | अरब सागर |
भादर | राजकोट से | – | अरब सागर में |
पेरियार | अन्नामलाई से | – | बेम्बनाद झील में |
Pengong Tso Lake map – Laddakh
Pengong Tso Lake map – 3D Rendered Map